हर उम्मीद की सुबह होती है !
हर ज़िन्दगी की ‘शाम’ होती है !!
ऐ दिल, ज़रा संभल जा,
न जाने किस मोड़ पर
पुनः प्रभात हो जाए !
ये तो वक़्त है
जो दर्पण दिखता है हमें !
हमने उम्मीदों का दामन,
ना छोड़ा है , न छोड़ेंगे !!
हर मोड़ पे ‘पलभर’ मुड़कर देखा है !
हर शाम की सुबह होती है !
हर पल ‘उम्मीद’ है कौन जाने कब !
आशाओं की सुबह हो जाए !!
उम्मीदों का दामन
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