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एेसी चाहत है मेरी

ऐसी चाहत है मेरी !
मेरे घर की दीवारों को सात रंगॊ से रंग दूँ
घर की दहलीज़ पर फूलों भरा पाँवदान रखूँ !!

तुम आओ जो धूल भरे पाँव लेकर !
जब जाओ तो तुम्हारे पाँव में फूलों सी सुगन्ध भर दूँ,
ऐसी चाहत है मेरी !
मेरे घर के रोशनदानों से आती हैं,
चमकीली किरणें अंदर, उन किरणों के परिमल से,
ज्योतिर्मय कान्ति भर दूँ !
ऐसी चाहत है मेरी !!
अपना पराया कुछ न हो, तुम मिलो तो एक बार
अपना समझकर !
तुम्हारा दामन रंगोंभरी स्मृतियों से भर दूँ !
ऐसी चाहत है मेरी !!
अनिता चंद 🥀

Published inअभिव्यक्ति

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