राष्ट्रमाता कस्तूरबा, बापू की प्रेरणा थीं वे,
परिपक्व से पूर्व बाल-विवाह बन्धन में बंधकर
मर्यादाओं का पालन करने वाली कस्तूरबा जागरूक नारी थीं वे।
रंग-भेद की लड़ाई में प्रेरणा बन स्त्रियों को उनके हक़ की पहचान कराई,
चम्पारण सत्याग्रह पर मोर्चा सम्भालकर महिलाओं की आस बँधाती कोई और नहीं, कस्तूरबा ही तो थीं वे।
पत्नी धर्म बखूबी निभाकर स्वाभिमान क्या है, त्याग कहते हैं किसको, आज़ादी आचरण में ढाल जन-जन तक आवाज़ पहुँचती, सत्य अहिंसा पर चलकर करुणा और दया के अर्थ बतलाती
स्वतंत्र विचार व दृढ़ इच्छा शक्ति की प्रतिमा अपने आप में अनूठा व्यक्तित्व रखती थीं वो
सम्पूर्ण सुख त्यागकर क्रान्ति का पथ अपनाया आज़ादी की ख़ातिर कारावास में रहने वाली साहसी नारी कस्तूरबा ही थीं वे
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर नर-नारियों का मनोबल बढ़ाकर, स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर चरखा घर-घर पहुँचाया आत्मनिर्भर बन, आत्म प्रण करने वाली कस्तूरबा ही थीं वे
भेद-भाव त्याग पिछड़ों की मार्मिकता को जाना दुखियारों का साथ निभाया स्वतंत्रता के लिये साथ बापू के कदम से कदम मिलाकर चलती थीं वे
जब-जब बापू जेल गये अनुसरण उनकी गतिविधियों का कर सभाएँ करती,
मोर्चा सम्भालती कस्तूरबा बापू की प्रेरणा क्रान्तिकारी थीं वे
सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च में आज़ादी का दम भरने, अन्तिम क्षण तक लड़ने वाली
डरबन फ़ीनिक्स में सर्वोदय विद्यालय का सपना सच करने वाली कस्तूरबा ही तो थीं
सरल स्वभाव दृढ़ संकल्प लिए हर मुश्किल का सामना करती प्रेरणा दायक, आज़ादी पाकर दिवंगत ये आत्मा राष्ट्रमाता कस्तूरबा ही तो थीं।
The above poetry of mine “KASTURBA” has been published in ‘SETU on line magazine’ in the June issue, 2020: “https://www.setumag.com/2020/06/2020-Hindi-Poet-3.html?m=1&fbclid=IwAR0CRGccOywQfUXuq8YM1-eWV12JJa8eneXi9lmYlCGd11b1ZKtQRkjk8SI“
Setu is a bilingual monthly journal published from Pittsburgh, USA
Be First to Comment