दुश्मनों के हाथों कैसे दे दूँ मैं !🇮🇳
अपने कश्मीर जैसे सरताज को,
जिसकी आबोहवा में हिंदुस्तान की साँसे बसती हों।
🇮🇳
करते गर्व से सिर ऊँचा हम,
अपने भारत महान पर,
जहाँ सत्य,अहिंसा,धर्म और वीरों की
गाथाऐं गाई जाती हों ।
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जिसकी मिट्टी में खेले कूदे,
पले बड़े, भाई वीर जवान मेरे,
सियाचिन की बर्फ़ीली चोटियों में,
न्यूनतम तापमान सहकर भी हमारी सुरक्षा करते हों।
🇮🇳
जहाँ प्रकृति अपना आँचल फैलाए,
प्यार ही प्यार बरसाती हो,
तीजत्योहारों का मिलन हो जहाँ,
हर रिश्ते को एक धागे में बुनता हो।
🇮🇳
पवित्र नदियों के मिलन से,
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
भिन्नताओं में एकता का सूत्र जोड़कर,
अपनी परम्पराओं का अनूठा संगम का दम भरता हो।
कैसे दे दूँ मैं अपनी आन,बान, शान को
यूँ ही कैसे !🇮🇳
-अनिता चंद
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