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“दोस्तानें”

“दोस्तानें”
ये दोस्ताने भी क्या
दोस्ती के दीवाने होते हैं,
जब मिल जाऐं
दो दोस्त,
क़िस्से बीती बातों के,
रोचक व पुराने होते हैं।
🍃🌹
जीवन की रफ़्तार में,
साल यूँ हीं बदल जाते हैं,
मुद्दत्ते हो गईं मुलाक़ाते किए,
जब भी मिलते हैं दोस्तों से,
आप से अबे तक पहुँचकर,
वही पल गुज़री यादों के,
पैमानों के निशाने
होते हैं।
🍃🌹
दिखाते हैं तमीज़,
दुनिया को दिखाने के लिए,
मिल जाऐं एक बार,
तो वही बेहुदगी के,
बहके नज़राने होते हैं।
🍃🌹
देखकर किसी की
दोस्ती,
बॉय फ़्रेंड,गर्ल फ़्रेंड
उस पर तानें-कसी के
फ़िज़ूल चटकारे होते हैं
🍃🌹

हर दोस्त शातिर
नहीं होता,
दोस्ती की पट्टी-पटाने में,
पर निभाने और मिलने के
कई बहाने होते हैं।
🍃🌹
सच्चाई ये भी है यारों
रिज़ल्ट ख़राब हो जायें
अपना,
ग़म उतना नहीं,
मगर!!
अव्वल अगर दोस्त
आ जाए तो,
मायूसी से भरे सारे
दोस्ताने होते हैं।
🍃🌹
खाने की चाह है इसकी
परवाह नहीं,
खाने के मज़े तो दूसरों,
के टिफ़िन चुराकर
उड़ाने में होते हैं।
🍃🌹
मम्मी-पापा के पहरे
चाहे सख़्त हो कितने,
मगर!
उनको पटाने के,
लाख बहाने होते हैं।
🍃🌹
ना है कल की आरज़ू,
ना रहता आज की ग़म,
मिलकर साथ,
मौज मस्ती से दिन बिताने
होते हैं।
💰🎉
क़ीमती चीज़ों का शौक
तो रखते हैं हम,
पर बिछड़े-पुराने दोस्त,
कुबेर के ख़ज़ाने होते हैं।

-अनिता चंद 2018

Published inअभिव्यक्ति

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