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नयी आशाएँ “नेत्रदान”

नयी आशाएँ “नेत्रदान”

मेरा दिल आशाओं का समन्दर है, दिल की गहराइयों में
लहरों से बातें करती हूँ मैं !
मनमोहक धरा….में जब बारिश की बूँदें लुप्त हो जाती हैं,
वो मिट्टी में मिली बूँदों की सौंधी-सौंधी सुगन्ध,
मेरे ह्रदय व मनमस्तिष्क को भीतर तक भिगो जाती है !

नदियों….से निकली कल-कल, छल-छल की ध्वनि,
मुझे प्रेम के गीत सुनाती है, मैं राग में बँधती जाती हूँ,
उस सरगम के सप्तस्वर को ह्रदय में पिरोकर,
दिल की आवाज़ से मैं गुनगुनाती हूँ !

मधुवन….में जब पुष्पों पर भँवरे मँडराकर गुंजन करते हैं,
तब अंतर्मन से मधुरस का रसपान कर, आकाश में उड़ने लगती हूँ
मेरा दिल आशाओं का समन्दर है, लहरों से बातें करती हूँ मैं !

पथ….पर अग्रसर जब होती हूँ, तब कोई देवदूत मिल जाता है मुझको !
मार्गदर्शन कर वह पथ पर, राह तक पहुँचा जाता है मुझको,
इतना ही नहीं, करम उस सर्वशक्ति का….!
वो अपनी दिव्य ज्योति जीते जी नाम मेरे करने व
नेत्र दान करने का फ़ैसला कर जाता है,
मुझ नेत्रहीन….को आशाओं के नेत्र मिल गए हों जैसे,
इस अहसास मात्र से ही, धन्य-धान्य हो जाती हूँ मैं !
सपनों में रोशनी के पंख लगाकर, आसमान में उड़ने लगती हूँ मैं,
मेरा दिल आशाओं का समन्दर है, लहरों से बातें करती हूँ मैं !

हूँ जीवित मैं, तो बहुमूल्य हैं नेत्र, मैं नहीं तो किस काम के नेत्र,
नेत्र दान आशाओं का दान, ख़ुशियों का दान,
उमंगों का दान, पवित्र दान, महादान….!
दान की आशा करती हूँ मैं
दिल की गहराएयों से बातें करती

-अनिता चंद🙏🏼 2018

Published inअभिव्यक्ति

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