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रद्दी में क़ैद था यादों का ख़जाना

कभी-कभी रद्दी के कागज़ों में यादों के महल मिल जाते हैं !!
चंद टुकड़ो में बिखरा था ज़िन्दगी की यादों का ख़जाना !
जो रद्द था, व्यर्थ था, घर के एक कोने में ,
आँगन में स्थानविहीन था वो रद्द वीराना,
उन्ही, बेजान कागज़ों में मार्मिक ख़ज़ाने भी मिल जाते हैं !
खुलती हैं जब परते, स्मरण की भावविभोर होकर,
अकस्मात आँखों के सामने यादों के मंज़र नज़र आ जाते हैं !!
प्रवाह बन उठती है, हृदय में आंसुओ की धारा,
और दिल क दरवाज़े कमज़ोर पड़ जाते हैं !!
कभी-कभी रद्दी में भी हसीन सपनो के अंश मिल जाते हैं !!

Published inअभिव्यक्ति

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