Skip to content

लफ़्ज़ों की तलाश

लफ़्ज़ों की तलाश
तुम ख़व्वावों में मिले मुझे
साया-ए-अॿ की तरह
मैं कुछ कह ना सका
बस देखता ही रहा तुमको
अपने से दूर जाते-जाते

कुछ अनकहा सा दिल में दफ़्न है
आज भी
जिसकी कसक रहती है
हरदम मेरे सीने में

सोचता हूँ कहूँ, पर कैसे कहूँ
अल्फ़ाज़ नहीं मिलते
तलाश लफ़्ज़ों से करूँ
तो अहसास नहीं मिलते

काश एक बार फिर मिल जाओ
ख़ुर्शीद की चमक की तरह
मैंने लफ़्ज़ों को पिरोया है तेरे लिए
पूजा है तुझे
असनाम-परस्ती की तरह

मेरे हमदम, मेरे दोस्त दिखाना है
असरारे हाले दिल तुझे
है तुझमें तसब्बुर खुदा का
बताना है ये तुझको
मोहब्बत-ए-जज़्बातों को दिखना है तुझे
मैंने तरासे हैं लफ़्ज़ सिर्फ़ तेरे लिए

-अनिता चंद 7/02/2018

Published inअभिव्यक्ति

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *