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होली तो होली रे

होली तो होली रे

ख़ुशियाँ पाबंद नहीं किसी की,
फिर भी मौक़े की तलाश तो रखती हैं
पर्व की महत्ता रहे जीवन में
मिलन की आस तो रखती है !

रंगों का करिश्मा भी क्या है भाई
मिल जाऐं एक दूसरे में सब तो
प्रीति-प्रणय का रंग बन जाऐ
होली अस्तित्व में अनुराग बरसाए !

आस रख तेरे जीवन में
आज रंग कोई भी भर देगा
गुज़ियों की मिठास लिए
संगीत के तराने सुनाकर
दिल ख़ुशियों से भर देगा
देखो होली है आई

तिमिर मिटाकर दुःख तनाव का
पूर्णिमा के चाँद सी चाँदनी है छाई
खुला दरवाज़ा आनंदोल्लास का
देखो होली है आई

आज पराया कोई न होगा
एक अंदाज़ में सब रंग होंगे
प्यार के गुलाल में छिपे कपोल
ख़ुशियों का नया आग़ाज़ कर देंगे

महक उठेगा मुबारकों की गूँज से
भूले बिछड़े सब अपनों को याद कर लेंगे
पास न हो कोई अज़ीज़ तो क्या !
दूर आवाज़ से ही दिल भर लेंगे !!

होली वर्ष में एक बार आए
रंगों की फुहार से
गुज़ियों की मिठास से
झोली में हर्षउल्लास भर जाए
होली तो होली रेरेरेरेरेरेरे

-अनिता चंद 03/03/2018

Published inअभिव्यक्ति

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