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Month: July 2017

‘ज़िन्दगी’

समुन्दर की रेत सी हर पल खिसकती है ज़िन्दगी!
कुछ अहसासों तले, कुछ अरमानों तले,
यूँ ही गुदगुदाती है,
संभल जाए तो जन्नत है,
बिखर जाए तो जैसे जहन्नुम है ज़िन्दगी!
जीवन की गहराइयों को मापना है मुश्किल
स्वर्ण सी चमकीली तो कभी,
सूर्य अस्त सी नज़र आती है ज़िन्दगी,
लहरों की फितरत है पैरों को छू जाना
न संभालें तो पैरों तले बनके रेत
यूँ ही खसक जाती है ज़िन्दगी,
– अनिता