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“इश्क़” ❤️

 

“इश्क़” ❤

दिल से…मेरी मोहब्बत ने तराशी है तसवीर तेरी,
तुझे याद न करूँ ऐसे बहाने नहीं आते मुझे
मेरी हर साँस में बसी हैं यादें तेरी

तूने आँखों में मेरी, घर अपना बसा रखा है
मेरी नींदों पर हक़ अपना जमा रखा है
मेरी पलकों पर भी अधिकार है तेरा

तुझसे रुँठने के बहाने भी नहीं आते मुझे
दिल बहलाने के लिए रूठ जाऊँ जो कभी
गिला तुझसे करूँ तो क्या करूँ
रुठने की सज़ा भी ख़ुद ही पाता हूँ मैं

हर तरफ़ तेरी छबि दिखाई देती है मुझे
हर बुराई को नज़र अन्दाज़ कर जाता हूँ मैं
क्यूँकि तेरी बुराई में भी नेकी के
तराने नज़र आते हैं मुझे

तुझसे दूर रहने के बहाने भी नहीं आते मुझे
हर तराने में तसव्वुर है तेरा
तुझे पा लूँ ऐसी ख़्वाहिश भी नहीं मेरी

तुझसे दूरी के बहाने अगर सोच भी लूँ मैं
पर बहाने बनाने नहीं आते मुझे
अहसास ही काफ़ी है गुनगुनाने के लिए

मेरे ज़हन में रहती है तू दिन-रात की तरह
मेरी मोहबत ने तराशी है तसवीर तेरी
बड़ी शिद्दत से जड़ा है दिल के आइने में तुझे
आठों प्रहर इबादत की है तेरी ,,,,।

❤❤
-अनिता चंद 14-02- 2018

Published inअभिव्यक्ति

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