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मेरी अभिव्यक्ति | Meri Abhivyakti Posts

एेसी चाहत है मेरी

ऐसी चाहत है मेरी !
मेरे घर की दीवारों को सात रंगॊ से रंग दूँ
घर की दहलीज़ पर फूलों भरा पाँवदान रखूँ !!

तुम आओ जो धूल भरे पाँव लेकर !
जब जाओ तो तुम्हारे पाँव में फूलों सी सुगन्ध भर दूँ,
ऐसी चाहत है मेरी !
मेरे घर के रोशनदानों से आती हैं,
चमकीली किरणें अंदर, उन किरणों के परिमल से,
ज्योतिर्मय कान्ति भर दूँ !
ऐसी चाहत है मेरी !!
अपना पराया कुछ न हो, तुम मिलो तो एक बार
अपना समझकर !
तुम्हारा दामन रंगोंभरी स्मृतियों से भर दूँ !
ऐसी चाहत है मेरी !!
अनिता चंद 🥀

रद्दी में क़ैद था यादों का ख़जाना

कभी-कभी रद्दी के कागज़ों में यादों के महल मिल जाते हैं !!
चंद टुकड़ो में बिखरा था ज़िन्दगी की यादों का ख़जाना !
जो रद्द था, व्यर्थ था, घर के एक कोने में ,
आँगन में स्थानविहीन था वो रद्द वीराना,
उन्ही, बेजान कागज़ों में मार्मिक ख़ज़ाने भी मिल जाते हैं !
खुलती हैं जब परते, स्मरण की भावविभोर होकर,
अकस्मात आँखों के सामने यादों के मंज़र नज़र आ जाते हैं !!
प्रवाह बन उठती है, हृदय में आंसुओ की धारा,
और दिल क दरवाज़े कमज़ोर पड़ जाते हैं !!
कभी-कभी रद्दी में भी हसीन सपनो के अंश मिल जाते हैं !!

उम्मीदों का दामन

हर उम्मीद की सुबह होती है !
हर ज़िन्दगी की ‘शाम’ होती है !!
ऐ दिल, ज़रा संभल जा,
न जाने किस मोड़ पर
पुनः प्रभात हो जाए !
ये तो वक़्त है
जो दर्पण दिखता है हमें !
हमने उम्मीदों का दामन,
ना छोड़ा है , न छोड़ेंगे !!
हर मोड़ पे ‘पलभर’ मुड़कर देखा है !
हर शाम की सुबह होती है !
हर पल ‘उम्मीद’ है कौन जाने कब !
आशाओं की सुबह हो जाए !!